स्वामी मैत्रैयानंद जी का परिचय

स्वामी मैत्रेयानंद जी मध्य प्रदेश के जंगलों के बीच बसे एक छोटे से गांव के रहने वाले हैं। जून 1972 में जन्में स्वामी जी को बचपन से ही ध्यान-साधना में विशेष रुचि थी । 6-7 वर्ष की बाल्यावस्था से उन्हें जंगल में अकेले जाना और साधना करना अच्छा लगता था । कभी-कभी तो ऐसा होता कि वे जंगल जाते और साधना करते-करते सारी रात जंगल में ही बीत जातीं। जब वे साधना में बैठे होते तो कभी कभी बाघ और कई अन्य जंगली जीव उनके सामने या आसपास आकर बैठ जाते।
स्वामी जी को शुरू से ही प्रकृति से बेहद लगाव रहा है। स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान भी उनका जंगलों में जाकर साधना करना और प्रकृति से जुड़े रहना जारी रहा। उन्होंने स्नातक की डिग्री आर्ट्स में और स्नातकोत्तर डिग्री, हिंदी भाषा में प्राप्त की है। कॉलेज की पढ़ाई के बाद एक अच्छी सरकारी संस्था में कार्यरत् रहे । इन परिस्थितियों में भी आपकी प्रथम प्राथमिकता आध्यात्मिकता ही थी।  यही कारण था कि परिवार वालों के दबाव के बावजूद आपने विवाह करना स्वीकार नहीं किया।
बचपन में ही मां का देहांत हो जाने के कारण आपका अधिकतर समय पिता की छत्रछाया में बीता। आपका परिवार राजनीति से जुड़ा होने के कारण कई बड़े बड़े नेता आपके घर आया करते थे। एक बार आपको राजनैतिक जिम्मेदारी संभालने का अवसर भी मिला परंतु आपकी रुचि आध्यात्मिकता में होने के कारण आपने उस अवसर को अस्वीकार कर दिया। ध्यान – साधना में किसी प्रकार  की बाधा न आने पाए, यह सोचकर आप परिवार और नौकरी को छोड़कर घर से निकल पड़े और यायावरी फक्कड़ जीवन को अपनाया। इस दौरान हिमालय की वादियों को आपने अपना आवास बनाया।
अपनी आध्यात्मिक यात्रा के दौरान आपने अपने जीवन का कुछ समय नर्मदा तट पर बसे, कई उच्च स्थिति प्राप्त साधु-संतों के सानिध्य में गुज़ारा । ओशो आश्रम और विपश्यना के अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय में भी साधना एवं सेवा में आपका कुछ समय बीता। बचपन में ही आपको आध्यात्मिक अनुभूतियां होनी शुरू हो गई थीं । एक बार नदी पर स्नान करते-करते आपको ‘नेति-नेति’ की अनुभूति हुई और ‘मैं शरीर नहीं हूं, मैं मन नहीं हूं’ का बोध हो गया । कालांतर में युवावस्था में ही ध्यान-साधना की उच्चतम स्थिति यानी आत्मबोध को प्राप्त हो गये।
आपको आयुर्वेद, वनस्पतियों, औषधियों, अर्थतंत्र और राजनीति का अच्छा ज्ञान है। पर्यावरण की दृष्टि से जंगलों को बचाने के अनेक  सुझाव आपके द्वारा केन्द्र और राज्य सरकार को दिए जाते रहे हैं । उन सुझावों पर अमल करते हुए सरकार द्वारा योजनाएं भी बनाई गईं और इस प्रकार आप देश के पर्यावरण, जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा का निमित्त भी बनते रहे हैं। आपको आर्थिक विषयों की भी गहन जानकारी है। इस संबंध में आपके द्वारा दिए गए सुझावों पर सरकार ने कई योजनाएं बनाई और संस्थाएं भी गठित कीं जो देश के विकास में सहायक बन रही हैं। आप अपने द्वारा किए गए कार्यों का श्रेय लेने से सदा दूर रहे।
आपका न तो कोई आश्रम है और न कोई घर है। यायावरी आपका स्वभाव रहा है। जहां-जहां भी रहते रहे हैं, उसी को आश्रम मानकर रहते रहे हैं। आपका न कोई पंथ है, न ही कोई संगठन है। आप ‘सिद्धा कुटुंबकम’ के नाम से एक ऐसी कम्युनिटी के निर्माण की अवधारणा रखते हैं, जहां कोई आपाधापी, भाग-दौड़ और मानव- सृजित समस्याएं न हों। जहां प्राकृतिक समृद्धता, साधनात्मक एवं सादा जीवन, प्राकृतिक खेती, औषधियां, आरोग्य व्यवस्था और सब कुछ स्व निर्भर, स्व निर्मित और स्व संचालित हो और ये सभी कार्य मिलजुल कर हों ।  सस्टेनेबल माॅडल (Sustainable Model) पर आधारित एक साधनात्मक गांव।
आपके यूट्यूब चैनल “दि सिद्धा टाॅक्स” (The Siddha Talks) पर आपके 700 से ज्यादा  आध्यात्मिक वीडियो, ऑडिओ रिकॉर्डेड प्रश्न- उत्तर और 50 से ज्यादा ध्यान- साधना की विधियां उपलब्ध हैं। आपके इस चैनल के हजारों फोलोअर्स है।  ” दि सिद्धा कुटुम्बकम ” “The Siddha Kutumbkam” नामक वेबसाइट पर आपकी ध्यान विधियां, आडियो प्रश्न- उत्तर और वीडियो उपलब्ध हैं।
आपके जीवन का एकमात्र ध्येय यह है कि यदि कोई भी साधक अपनेआप को साधना में भटक गया या रुक गया महसूस करता है तो आध्यात्मिक लक्ष्य को प्राप्त करने में उसका सच्चा मार्गदर्शन करना । आपके साधना शिविरों में “मास” नहीं “खास” की मौजूदगी का प्रयास रहता है। यह स्वामी जी की कृपा ही है कि कोई भी साधक सीधे उनसे संपर्क कर सकता है और अपनी जिज्ञासा का समाधान निःशुल्क प्राप्त कर सकता है । ॐ

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